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संथाली भाषा साहित्य के अधिवेशन में ओलचिकि के प्रसार पर जोर; कल चंपाई सोरेन करेंगे संबोधित 

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जामताड़ा
साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सौजन्य से संथाली भाषा साहित्य का 58वां वार्षिक दो दिवसीय अधिवेशन संपन्न हुआ। इसका आयोजन आसेका झारखंड ईकाई, देशमांझी पारगाना बाईसी, संथाल पारगाना एवं आइस्वा झारखंड के संयुक्त प्रयास से किया गया। यह अधिवेशन संथाली भाषा के विद्वान एवं लेखक डॉ. डोमन साहू समीर की जन्मशताब्दी के अवसर पर नगर भवन, जामताड़ा में आयोजित हुआ। उद्घाटन समारोह में साहित्य अकादमी के संयोजक सीपी मांझी, पूर्व संयोजक मदन मोहन सोरेन, और संथाली साहित्य के विद्वान चुंडा सोरेन सिपाही ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर डॉ. डोमन साहू समीर के परिजन एवं पोता भी उपस्थित थे।


संथाल संस्कृति और भाषा को मजबूत करने की अपील
अधिवेशन में साहित्य गोष्ठी, परिचर्चा और मांझी पारगाना सम्मेलन आयोजित किए गए। वक्ता सुनील हेंब्रम ने कहा कि संथाल संस्कृति को बचाने के लिए संथाली भाषा को ऊँचाई तक ले जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान हमारी भाषा और संस्कृति से है, और संथाली साहित्य एवं ओलचिकि लिपि के प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


दूसरे दिन स्वशासन व्यवस्था पर होगी चर्चा 
दूसरे दिन, रविवार को संथाल समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था पर परिचर्चा होगी। इसमें मांझी, पारानीक, जोग मांझी, जोग पारानीक, भोद्दो, लासेरसाल, नायकी, कुडाम-नायकी, गोडेत्, परगनैत, देशमांझी, दिसाम परगना, दिसाम गोडेत्, दिसाम दिहरी, चाकलादार, बासकारिया आदि पदाधिकारियों को संरक्षित एवं संगठित रखने पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस परिचर्चा को पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन संबोधित करेंगे। कार्यक्रम में संथाली साहित्य प्रेमी, संथाली समाज के गणमान्य लोग एवं बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

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